क्या आपको 12 जुलाई, 1991 में यूपी में पीलीभीत पुलिस द्वारा 11 सिखों को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार देने की क्रूरतम घटना याद है? जिन्हें नहीं याद, उन्हें बताते हैं। आरोप है कि इस तारीख को पीलीभीत पुलिस ने जिले के कछला घाट इलाके में 11 बेगुनाह सिखों को एक बस से निकालकर, अलग-अलग ले जाकर कथित तौर पर मार डाला था। घटना के बाद पुलिस महकमे में नीचे से लेकर ऊपर तक दलील दी गई कि ये सिख कथित खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादी थे। सबसे पहले यूपी सरकार ने ही पुलिस की थ्योरी को सही करार दिया और देशभर में चर्चा तथा पंजाब से उठी विरोधी आवाजों को दरकिनार कर दिया।
पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ पर हाईकोर्ट का फैसला क्या संकेत देता है
- उत्तर प्रदेश
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- 18 Dec, 2022

पीलीभीत में 1991 में फर्जी मुठभेड़ में 11 बेगुनाह सिखों को मार दिया गया था। सीबीआई जांच में इन्हें निर्दोष माना गया था। निचली अदालत ने आरोपी पुलिस वालों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी पुलिस वालों की सजा कम करके 7-7 साल की कैद कर दिया और जुर्माने का पैसा भी कम कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले के दूरगामी नतीजे क्या निकलेंगे, इस पर विचार की जरूरत है।