सिख इतिहास में दिसंबर को 'कुर्बानियों का महीना' कहा जाता है। इसलिए कि नौंवे गुरु गोविंद सिंह जी का समूचा परिवार दिसंबर महीने की इन्हीं तारीखों में शहीद हुआ था। शहादतों के वक्त दशम पातशाह मुगलों के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। इसी जंग में उनका पूरा परिवार शहादत को हासिल हो गया। बेशुमार मुस्लिम परिवारों ने भी तब गुरु साहिब का साथ दिया था। तमाम खतरे उठाकर। वे सब सिख इतिहास के पन्नों में बेहद ऐहतराम के साथ दर्ज किए गए हैं।
बेहद अहम है कि गुरु गोविंद सिंह जी से संबंधित उनकी कई वस्तुएँ अथवा निशानियां मुस्लिम परिवारों ने बेहद श्रद्धा तथा पवित्रता के साथ संभाल कर रखी हुई हैं। इनमें से एक है 'गंगासागर'। सिख इतिहास में इसका खास ज़िक्र है? ‘गंगासागर’ दरअसल तांबे-पीतल तथा अन्य धातुओं से बना एक अनमोल बर्तन है, जिसमें से गुरुजी पेय पदार्थों (यानी दूध-जल वगैरह) का सेवन किया करते थे और हमेशा उसे अपने साथ रखते थे। यहां तक कि मैदान-ए-जंग में भी। मुगलों के साथ निर्णायक युद्ध में भी गंगासागर उनके साथ था।