अब यह शीशे की मानिंद साफ है कि पंजाब के जिले अमृतसर के तहत आते कस्बेनुमा शहर अजनाला में जो कुछ हुआ वह किसी 'गहरी साजिश' के तहत अंजाम दिया गया। जिस तरीके से 'वारिस पंजाब दे' के तथाकथित मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा ने श्री गुरुग्रंथ साहब की आड़ में इसे सिर चढ़ाया, उसने कई सरगोशियों को दरपेश किया है। थाने पर कब्जा मामूली बात नहीं। गौरतलब है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोका जा सकता था। 'दुर्भाग्यपूर्ण' शब्द इसलिए कि अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष सिखों के बीच पूरे प्रकरण की बाबत निहायत गलत संदेश गया है।

अजनाला से पाकिस्तान का बॉर्डर महत 20 किलोमीटर दूर है। वहां बीएसएफ तैनात है। बीएसएफ की कार्रवाई का दायरा 150 किलोमीटर तक है। जब पंजाब पुलिस हालात संभाल नहीं पाई तो बीएसएफ वहां क्यों नहीं पहुंची। अभी तक अलगवावादी रुझान रखने वाले खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह खालसा को न पकड़ा जाना क्या बताता है।