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शंभू बॉर्डर पर पंखे और टेंट को हटाते पुलिसकर्मी।

पंजाब में किसान नेताओं की गिरफ्तारी, तनाव; क्या वादे भूल गई आप सरकार?

पंजाब में किसान आंदोलन पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। बुधवार को पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर सहित 200 से अधिक किसानों को हिरासत में लिया। यह घटना उस समय हुई जब किसान खनौरी और शंभु सीमा की ओर मार्च कर रहे थे, जहां पिछले साल 13 फ़रवरी से प्रदर्शनकारी किसान डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प भी हुई। पंजाब हरियाणा सीमा पर डेरा डाले किसानों के टेंट को पुलिस ने देर रात को हटा दिया। चुनावों के दौरान किसानों की मांगों का पूरा करने का वादा करने वाली पंजाब की आप सरकार को विपक्ष इस मुद्दे पर घेर रहा है और कई सवाल उठा रहा है। 

मोहाली में डल्लेवाल और पंधेर को हिरासत में लिया गया, जबकि खनौरी सीमा पर 200 किसानों को रोका गया। शंभु सीमा पर भी देर रात को किसानों को हिरासत में लिया जा रहा है और टेंट हटाए जा रहे हैं। झड़प के बाद खनौरी सीमा और आसपास के संगरूर व पटियाला ज़िलों में इंटरनेट सेवाएँ निलंबित कर दी गईं। पुलिस ने खनौरी सीमा पर अतिरिक्त बल तैनात किया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। एक एक्स यूज़र ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें पंजाब पुलिस के डीआईजी को कहते सुना जा सकता है, 'सरकार से ऑर्डर हो गए हैं, खनौरी बॉर्डर से किसानों का मोर्चा 101% उठाया जाएगा, हम बल प्रयोग नहीं करना चाहते, आपसे विनती है कि पुलिस का सहयोग करें।'

बता दें कि दिन में मोहाली में किसानों का एक समूह चंडीगढ़ में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद खनौरी और शंभु सीमा की ओर बढ़ रहा था। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों पक्षों में टकराव हुआ। इस दौरान डल्लेवाल और पंधेर के अलावा अभिमन्यु कोहर और काका सिंह कोटड़ा जैसे अन्य किसान नेता भी हिरासत में लिए गए।

जगजीत सिंह डल्लेवाल का नाम इस आंदोलन में प्रमुख रहा है। उन्होंने जनवरी में 54 दिनों तक अनशन किया था और सरकार से 24 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग पूरी न होने तक इलाज लेने से इनकार कर दिया था। किसान पिछले साल 13 फरवरी से खनौरी और शंभु सीमा पर डटे हैं, जब उन्हें दिल्ली मार्च करने से रोक दिया गया था। उनकी प्रमुख मांगों में एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी न करना, किसानों के ख़िलाफ़ पुलिस मामले वापस लेना, 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली, और 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा शामिल है।

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केंद्र-किसान वार्ता का नतीजा क्या?

चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई ताज़ा बैठक भी बेनतीजा रही। तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी मौजूद थे। चौहान ने कहा कि वार्ता जारी रहेगी और अगली बैठक 4 मई को होगी। हालाँकि, किसानों की मांगों पर कोई ठोस फ़ैसला नहीं हो सका।

विपक्ष ने इस घटना पर पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधा। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र के साथ मिलकर किसानों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।
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शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि मान ने 'मानसिक संतुलन खो दिया है'। उन्होंने डल्लेवाल की हिरासत को लेकर उनकी आलोचना की। बादल ने कहा, 'चुनावों के दौरान मान ने किसानों की सभी मांगें पूरी करने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद वे झूठ बोल रहे हैं। पंजाब में कोई सुरक्षित नहीं है।'

पंजाब में किसानों का आंदोलन और पुलिस कार्रवाई एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच गहरे अविश्वास को उजागर करती है। एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित उनकी मांगें लंबे समय से अनसुनी हैं, जिससे तनाव बढ़ता जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी और विपक्ष के आरोप इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)
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क़मर वहीद नक़वी
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