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पंजाब की आप सरकार और भगवंत मान किसानों के खिलाफ क्यों?

एक समय किसानों का समर्थन करने वाली आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार का हाल में किसानों के प्रति जो रवैया रहा उसने पूरे पंजाब में किसान संगठनों को सकते में डाल दिया है। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने 5 मार्च को चंडीगढ़ कूच का ऐलान और सरकार की उपेक्षा के कारण फिर से एक और मार्च निकालने की योजना बनाई हुई थी।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसान संगठनों को बातचीत करने के लिए एक बैठक 3 मार्च को चंडीगढ़ में बुला ली। सौहार्दपूर्ण वातावरण में शुरू हुई बैठक 2 घंटे के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान के अचानक तल्खी भरे अंदाज़ के कारण बीच में ख़त्म हो गई। किसानों के चंडीगढ़ कूच से पहले ही पूरे पंजाब में किसान नेताओं पर पुलिस की कार्यवाही कर दी गई और उनको चंडीगढ़ में पहुँचने से रोक दिया गया। विभन्न किसान संगठनों ने पंजाब सरकार और भगवंत मान की इस कार्यवाही की निंदा की है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री भगवंत मान को किसानों का विरोधी करार दिया है।

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2020 में जब दिल्ली में किसान आंदोलन शुरू हुआ था तब दिल्ली में केजरीवाल की सरकार थी। 14 दिसंबर 2020 को अरविंद केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में एक दिन की भूख हड़ताल करने से पहले केंद्र सरकार को किसानों की मांगों पर और तीनों काले क़ानूनों पर घेरा था और निरंतर किसान आंदोलन में किसानों की मांगों के समर्थन में केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे। 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले तब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह पर आरोप लगाए थे कि वो केन्द्र की सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। किसानों के हितैषी दिखने के भरपूर प्रयत्न केजरीवाल और भगवंत मान करते रहे और किसान वर्ग के समर्थन से ही 2022 के विधानसभा चुनावों में सफलता प्राप्त कर पाए थे। विधानसभा की 117 सीटों में से लगभग 65 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में हैं जिनमें आम आदमी पार्टी को बड़ी सफलता हासिल हुई थी जिसके कारण पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार बना पाई।

फ़रवरी 2021 में मेरठ में किसान महापंचायत में जाने से पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 'ये तीन काले क़ानून किसानों का डेथ वारंट है' आम आदमी पार्टी ने तब किसान महापंचायत के लिए निमंत्रण पत्र किसानों को भेजे थे। किसानों के भारत बंद के आह्वान से पहले 7 दिसंबर 2020 को केजरीवाल अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ किसान आंदोलन के केंद्र सिंघु बॉर्डर पर पहुँच कर खुद को किसानों का सेवादार बता रहे थे। प्रधान मंत्री द्वारा तीन कृषि क़ानून वापस लेने पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा था, 'आनेवाली पीढ़ियां याद करेंगी कि किस प्रकार किसानों ने खेती-किसानी को बचाने के लिए अपने बलिदान दिए हैं'। पंजाब में किसानों के समर्थन में गणतंत्र दिवस से पहले मोटरसाइकिल रैली के लिए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए भगवंत मान ने प्रयास किये थे।  

लेकिन सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान का रवैया किसानों के प्रति वैसा सकारात्मक नहीं रहा जितना पहले था। 17 मई 2022 को पंजाब के किसानों ने जगजीत सिंह डल्लेवाल की अगुवाई में अपनी मांगों के लिए चंडीगढ़ कूच किया और वे मोहाली के बॉर्डर पर मोर्चा लगा कर डट गए थे। तब भी भगवंत मान किसानों से बातचीत को बीच में ही छोड़ कर दिल्ली चले गए थे। 
भगवंत मान किसानों की मांगों पर दोहरी नीति अपनाये हुए हैं। 3 साल के कार्यकल में बार-बार किसानों को सड़क पर उतरना पड़ा है।
गुलाबी सुंडी के मुआवजे से लेकर गन्ना के दाम हों या गेहूं पर बोनस की मांग हो, किसानों का संघर्ष और प्रदर्शन पंजाब में होता रहा है। भगवंत मान ने किसानों से एक साल तक उनकी नयी बनी सरकार के लिए मोहलत मांगी थी और आश्वासन दिया था कि उनकी समस्याओं के हल किए जाएँगे लेकिन कोई स्थायी समाधान अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार कर नहीं पाई है। हाल ही में धान की उपज की खरीद के समय भी पूरे पंजाब में किसानों को कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा, यह एक महीने तक देश ने देखा है। धान की उपज पर खरीद में 200 रुपये का कट लगाए जाने पर किसानों ने रोष जताया था।
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फरवरी 2027 में पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद पंजाब में फिर से विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती सामने है। भगवंत मान किसानों की अधिकतर मांगों को केंद्र सरकार के पाले में डाल रहे हैं। ऐसे में भगवंत मान का किसान के प्रति रवैया कितना सकारात्मक माना जाए, यह सवाल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। भगवंत मान की पंजाब के लिए राजनीतिक भविष्य की गंभीरता के सवाल को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई और योजना के सहारे मान अपना लक्ष्य हासिल करने में मशगूल हैं?

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जगदीप सिंधु
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