पंजाब के अजनाला थाने पर सिख कट्टरपंथियों का कब्जा और हमला एकबारगी फिर समूचे राज्य को थर्रा गया है। देश-विदेश में भी इसकी खूब चर्चा हो रही है। गौरतलब है कि 23 फरवरी को 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा और उसके सैकडों समर्थकों ने अपने एक साथी की रिहाई (उस मामले में अमृतपाल खुद भी नामजद है) के लिए श्री गुरुग्रंथ साहिब की आड़ लेकर अजनाला थाने पर कब्जा कर लिया। उस वक्त वहां आला पुलिस अधिकारियों की अगुवाई में छह जिलों की पुलिस तैनात थी। लेकिन अमृतपाल सिंह खालसा के साथियों के हिंसक तेवरों के बाद समूची पुलिस तितर-बितर हो गई और तमाम पुलिसिया बंदोबस्त धरे के धरे रह गए।

पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उस पर तमाम जिम्मेदार नेताओं की चुप्पी चुभने वाली है। खुलेआम खालिस्तान की मांग पर पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम भगवंत मान का कुछ न बोलना देश को महंगा पड़ सकता है।