हिमंता बिस्वा सरमा अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ लगातार ऐसी बयानबाज़ी कर रहे हैं जिसे घृणा फैलाने वाला कहा जा रहा है। आख़िर वह ऐसी बयानबाज़ी क्यों कर रहे हैं और क्या संविधान इसकी इजाजत देता है?
क्या विश्वविद्यालयों में परशुराम जयंती जैसे कार्यक्रम होने चाहिए? कई लोग तर्क देते हैं कि अगर दलित अस्मिता की अभिव्यक्ति की जा सकती है और वैध है तो ब्राह्मण अस्मिता की क्यों नहीं?
अमेरिका के परिसरों के साथ यूरोप और दूसरे मुल्कों में भी विद्यार्थी इस्राइल और अपनी सरकारों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। न्याय और समानता के मूल्य क्या भारत के छात्रों, अध्यापकों को झकझोरेंगे?
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में ‘एढाक’ शिक्षक रहे समरवीर सिंह की खुदकुशी के बाद क्या पूरा तंत्र हिल नहीं जाना चाहिए था? लेकिन क्या पिछले एक साल में भी कुछ बदलाव हुआ?
क्या माओवादी क्रांति की ज़रूरत सिर्फ़ आदिवासी क्षेत्रों को है? या आदिवासी इलाक़े सिर्फ़ उनके छिपने की जगह हैं और आदिवासी भी हथियारों की तरह ही उपयोगी हैं? क्यों माओवादी नेतृत्व में आदिवासी नहीं के बराबर हैं?
अगर स्कूल विद्यार्थियों को सारे धर्मों से परिचित करवाने के क्रम में मस्जिद ले जाना चाहें तो उसपर भी स्कूल के ख़िलाफ़ हिंसा हो सकती है। ऐसे हालात में क्या स्कूल या कॉलेज शिक्षा का अपना धर्म निभा सकते हैं?
विश्वविद्यालय जैसे शैक्षिक संस्थानों का काम क्या है? आप जो भी सोचते हों, ‘एकेडेमिक्स फॉर नमो’ नाम का मंच इसके नये मायने बता रहा है। जानिए, अध्यापकों और शोधार्थियों ने इस मंच को क्यों बनाया।
अपनी 96 साल की उम्र में लाल कृष्ण आडवाणी ने आख़िर देश में ऐसा क्या योगदान दिया है जिससे उन्हें भारत रत्न दिया गया? क्या टोयोटा गाड़ी को रथ बताकर यात्रा निकालने के लिए?
भारत सरकार के मंत्री दावा करते हैं कि आजकल दुनिया का कोई भी देश जब कुछ करता है तो भारत से सलाह लेता है। क्या दक्षिण अफ़्रीका ने इज़राइल के ख़िलाफ़ अपना मुक़दमा दायर करने में भारत से मशविरा किया था?
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। तो क्या राम भक्ति परंपरा में ‘रामलला’ स्वरूप के तौर पर हैं? क्या इसको राजनीतिक फायदे के लिए नहीं गढ़ा गया?