माओवादियों ने आरोप लगाया है कि भारतीय सुरक्षा बल के जवानों ने उनके 17 लोगों को पकड़कर मार डाला। ये उन 29 माओवादी लड़ाकों में शामिल हैं जिनके बारे में भारतीय सुरक्षा बल का दावा है कि वे सब उनसे मुठभेड़ में मारे गए हैं। यह हमला 16 अप्रैल को कांकेर इलाक़े में हुआ। अगर माओवादी कह रहे हैं कि उनमें से 17 मुठभेड़ में नहीं बल्कि ज़ख़्मी हालत में मार डाले गए जब वे लड़ने की स्थिति में नहीं थे तो भी वे यह तो स्वीकार कर ही रहे हैं कि यह मुठभेड़ हुई थी। उधर भारतीय सुरक्षा बल का कहना है कि माओवादी झूठ बोल रहे हैं। 29 के 29 माओवादी मुठभेड़ में ही मारे गए हैं। माओवादी अब लोगों की सहानुभूति लेने के लिए यह झूठ गढ़ रहे हैं।
29 माओवादियों की मौत के लिए ज़िम्मेदार कौन- राज्य या खुद माओवादी?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 22 Apr, 2024

क्या माओवादी क्रांति की ज़रूरत सिर्फ़ आदिवासी क्षेत्रों को है? या आदिवासी इलाक़े सिर्फ़ उनके छिपने की जगह हैं और आदिवासी भी हथियारों की तरह ही उपयोगी हैं? क्यों माओवादी नेतृत्व में आदिवासी नहीं के बराबर हैं?
सच क्या है, जानना असंभव नहीं तो लगभग असंभव तो है ही। माओवादियों के ख़िलाफ़ यह कामयाब हमला छत्तीसगढ़ के कांकेर इलाक़े में हुआ। आस पास के गाँवों में रहनेवाले मुँह खोलने को तैयार नहीं हैं। सुरक्षा बल की बात पर यक़ीन करना अगर भोलापन है तो उतनी ही मूर्खता है माओवादियों के बयान को सच मान लेना।