‘कल समरवीर सिंह की पहली बरसी है। क्या आप उसमें हिस्सा लेंगे?’ एक छात्र का संदेश फ़ोन पर आया। मुझे झटका लगा। एक साल हो गया? समरवीर सिंह की आत्महत्या का एक साल? कुछ शर्म भी आई कि मुझे याद करना पड़ रहा है कि कब समरवीर ने ख़ुदकुशी से जान दी थी। ‘कहाँ?’, मैंने पूछा। मुझे लगा था कि शायद हिंदू कॉलेज में, जहाँ समरवीर पढ़ाते थे, यह स्मृति सभा हो रही हो। मेरा अनुमान ग़लत निकला। यह सभा ऑनलाइन होनी थी। बाद में आयोजक ने बतलाया कि कॉलेज में जगह मिलना मुश्किल थी। एक ‘एढाक’ अध्यापक की ख़ुदकुशी की याद कॉलेज की छवि के लिए ठीक न थी।