सुखद आश्चर्य हुआ कि भारत के बहुसंख्यक जन अभी भी मानते हैं कि उनका देश सारे धर्मों के लोगों का देश है।‘लोकनीति’ के नए देशव्यापी सर्वेक्षण में 79% लोगों ने कहा देश सबका है, सिर्फ़ 11% ने कहा कि यह मात्र हिंदुओं का देश है। चारों तरफ़ से रोज़ रोज़ जो खबर आती है, उससे मालूम होता है कि अलग-अलग विश्वासों के लोगों के साथ-साथ रहने का विचार इस देश में कब का तर्क कर दिया गया है। लेकिन यह सर्वेक्षण तो कुछ और कहता है। फिर इसकी व्याख्या कैसे करें?
क्या भारत अभी भी धर्मनिरपेक्ष देश है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 15 Apr, 2024

लोकनीति सीएसडीएस सर्वे से तमाम तरह के नतीजे सामने आए। लेकिन जो सबसे खास बात थी वो ये कि भारत के लोगों का विश्वास धर्मनिरपेक्षता में अभी भी बचा हुआ है। हमारे संविधान की मूल भावना भी यही है। जाने-माने स्तंभकार अपूर्वानंद ने भी इस सर्वे के संदर्भ में कुछ बातें लिखी हैं। जरूर पढ़िएः