असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा अपने पद पर बने रहने का अधिकार खो चुके हैं। इस पद पर उनका हरेक दिन असम के मुसलमानों को, विशेषकर मियाँ मुसलमानों को पहले से अधिक ख़तरे में डाल रहा है। वे रोज़ इस प्रकार के फ़ैसले कर रहे हैं और बयान दे रहे हैं जो मुसलमान विरोधी हैं। इन बयानों और उनके फ़ैसलों में मुसलमानों के प्रति उनकी घृणा और हिंसा टपकती रहती है। भारतीय जनता पार्टी के दूसरे कई नेता सभ्य दीखने के लिए इस घृणा और हिंसा को अप्रत्यक्ष रूप ज़ाहिर करते हैं। लेकिन पिछले 10 वर्षों में भाजपा में ऐसे नेताओं की संख्या बढ़ती गई है जो अपनी नफ़रत पर पर्दा नहीं डालते। वे लोक लाज की परवाह नहीं करते।
असम सीएम का बयान मियाँ मुसलमानों को ख़तरे में डाल रहा है!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 2 Sep, 2024

आख़िर सरमा को बल कहाँ से मिल रहा है? यह तो है ही कि वे जो भी कर रहे हैं, वह भाजपा का हर नेता कर रहा है। लेकिन सरमा की ढिठाई की वजह असम के हिंदू समाज के मुखर तबके द्वारा उनका समर्थन है। असम का मीडिया पूरी तरह मुसलमान विरोधी है जिसे वह बहरागत विरोध के नाम पर उचित ठहराता है।
इस साल तो भाजपा के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी दो महीने तक निर्लज्ज तरीक़े से मुसलमान विरोधी भाषण देते रहे। हर अख़बार उसे छापता रहा, हर टीवी चैनल उसे प्रसारित करता रहा। लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि यह नाक़ाबिले बर्दाश्त है, यह न सिर्फ़ असभ्य है बल्कि ख़तरनाक है क्योंकि उनका हर बयान मुसलमानों के प्रति हिंदुओं के मन में शंका, घृणा को और गहरा करता जाता है। पिछले 10 वर्षों में ऐसे हिंदुओं की संख्या बढ़ती गई है, जो आरएसएस से जुड़े नहीं हैं, जो बिलकुल युवा हैं, लेकिन मुसलमानों को अपमानित करने और उनके ख़िलाफ़ हिंसा करने में मज़ा लेने लगे हैं। इसके लिए वह घृणा प्रचार ज़िम्मेदार है जिसमें मोदी, उनके मंत्री और भाजपा और आरएसएस के नेता रात दिन लगे रहते हैं। यह किसी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति नहीं कर सकता। यह अपराध है।