लिखने को कई विषय हैं लेकिन कम से कम पिछले 9 साल से राष्ट्रीय विषय एक ही बना हुआ है। विषय एक ही है: मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा। हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद गुड़गाँव, सोहना और आस पास मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा पूरी तरह थमी नहीं है।अब सरकार घरों, दुकानों पर बुलडोज़र चला रही है। कहा जा रहा है कि ये सब ग़ैरक़ानूनी हैं लेकिन पूछा जा सकता है कि ठीक इसी समय क्यों अचानक इन्हें गिराया जा रहा है। यह भारतीय जनता पार्टी सरकारों का ईजाद किया हुआ बुलडोज़री बदला लेने का तरीक़ा है।
सरकार कह रही है बर्दाश्त करें, लेकिन कब तक?
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 7 Aug, 2023

यह बहुत साफ़ है और मुसलमान इस बात को जानते हैं कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शक्ति का भयानक असंतुलन है। भारतीय राज्य की ताक़त प्रायः हिन्दुत्ववादी संगठनों के साथ है या उसका हाथ उनकी पीठ पर है।
अभी मुसलमानों को जो बेघर किया जा रहा है उसका तर्क यह दिया जा रहा है कि नूंह की हिंसा की शुरुआत मुसलमानों की तरफ़ से हुई थी। इससे एक स्तर पर मुसलमान भी इंकार नहीं करते। वह एक दूसरी हिंसा का जवाब था, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। वह शारीरिक नहीं, भाषा की हिंसा थी। नूंह के मुसलमान बहुल इलाक़े से विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के द्वारा यात्रा निकालने के पहले जो वीडियो जारी किए गए, वे यात्रा की सूचना देने के लिए नहीं, उन्हें अपमानित करने के मक़सद बनाए गए थे। तीन लोग इस हिंसा में मारे गए।
और फिर जवाबी हमले शुरू हुए। वह नूंह नहीं, सोहना और गुड़गाँव तक फैल गए। सैंकड़ों घरों और दुकानों को जलाया गया। धर्मस्थल को तबाह किया गया और एक धर्म गुरू की रात में हत्या कर दी गई। अब तक 6 लोगों की जान जा चुकी है।