‘मेरे घर आके तो देखो’, शबनम हाशमी ने कुछ रोज़ पहले एक अभियान का प्रस्ताव दिया। क्या एक दूसरे को अपने घर आने की दावत देना एक अभियान बनाया जा सकता है? हम सब अपने रिश्तेदारों, अपने दोस्तों के घर तो आते जाते ही रहते हैं! फिर इसे एक मुहिम क्यों बनाना? क्या अपने से अजनबी लोगों को अपने घर आने का न्योता दिया जा सकता है?