मालूम हुआ कि परशुराम जयंती के अवसर पर ऋषि ऋण चुकता करके भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध करने के लिए घोषित कार्यक्रम को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशासन ने रद्द कर दिया। ऐसा नहीं है कि यह प्रशासन ने ख़ुद किया हो। इस कार्यक्रम का विरोध कुछ वामपंथी और दलित छात्र संगठनों ने किया था जिसके नतीजे में कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। लेकिन उस दिन परशुराम की जय जयकार करते हुए एक बड़ा जुलूस परिसर में निकाला गया। परिसर की दीवारें परशुराम जयंती के पोस्टरों से अटी पड़ी थीं।