मालूम हुआ कि परशुराम जयंती के अवसर पर ऋषि ऋण चुकता करके भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध करने के लिए घोषित कार्यक्रम को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशासन ने रद्द कर दिया। ऐसा नहीं है कि यह प्रशासन ने ख़ुद किया हो। इस कार्यक्रम का विरोध कुछ वामपंथी और दलित छात्र संगठनों ने किया था जिसके नतीजे में कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। लेकिन उस दिन परशुराम की जय जयकार करते हुए एक बड़ा जुलूस परिसर में निकाला गया। परिसर की दीवारें परशुराम जयंती के पोस्टरों से अटी पड़ी थीं।
परशुराम जयंती के कार्यक्रम विश्वविद्यालयों में क्यों?
- वक़्त-बेवक़्त
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- अपूर्वानंद
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- 13 May, 2024


अपूर्वानंद
ऋषि किनके हैं? क्या वे सबके हैं? फिर उनका ऋण क्या मात्र ब्राह्मणों को चुकाना है या बाक़ियों को भी?
पिछले कुछ वर्षों में ब्राह्मण श्रेष्ठता बोध के प्रदर्शन में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। परशुराम जयंती के कार्यक्रम जगह-जगह होने लगे हैं। ब्राह्मण अस्मिता की अभिव्यक्तियाँ तरह-तरह से की जाने लगी हैं। गाड़ियों पर ब्राह्मण होने की घोषणा करते स्टिकर दिखलाई पड़ने लगे हैं।
अपूर्वानंद
अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाते हैं।