हमारे कई सहकर्मी अध्यापकों और शोधार्थियों ने मिलकर ‘एकेडेमिक्स फॉर नमो’ नामक मंच बनाया है। नमो ‘नमो नमः’ वाला नमो नहीं है। वह नरेंद्र मोदी के आरंभिक अक्षरों को मिलकर बनाया गया है। यह संक्षेपीकरण नेता के नाम को कर्णप्रिय बनाने के लिए उन्हीं की टीम के द्वारा गढ़ा गया था। हमने अनेक अवसरों पर नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक अवतरण पर ‘नमो, नमो’ के नारे सुने हैं। मोदी, मोदी की तरह ही नामो को लोकप्रिय बनाने में मीडिया की भी ख़ासी भूमिका है। शायद जगह बचाने के लिए या स्मार्ट दीखने के लिए नरेंद्र मोदी लिखने की जगह वह नामो लिखता है। रोमन लिपि में यह NAMO लिखा जाता है। हम हिंदी में इसे कैसे बोलें: नामो या नमो?
अध्यापकों द्वारा मोदी के पक्ष में गोलबंद करना राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 12 Feb, 2024

विश्वविद्यालय जैसे शैक्षिक संस्थानों का काम क्या है? आप जो भी सोचते हों, ‘एकेडेमिक्स फॉर नमो’ नाम का मंच इसके नये मायने बता रहा है। जानिए, अध्यापकों और शोधार्थियों ने इस मंच को क्यों बनाया।
यानी यह भी इन बुद्धिजीवियों की अपनी ईजाद नहीं है। मंच के नाम को लिखा जाता है इस तरह; Academics4NaMo।
फॉर की जगह 4 लिखकर नए ज़माने का होने का दावा पेश किया जा रहा है। यह विज्ञापन के, एस एम एस के ज़माने का प्रयोग है। हम अध्यापक अपने छात्रों को पूरे शब्द और वाक्य लिखने के लिए कहते रहते हैं। यहाँ अध्यापक ही उस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं जो सोशल मीडिया उन्हें सिखला रहा है।