हमारे कई सहकर्मी अध्यापकों और शोधार्थियों ने मिलकर ‘एकेडेमिक्स फॉर नमो’ नामक मंच बनाया है। नमो ‘नमो नमः’ वाला नमो नहीं है। वह नरेंद्र मोदी के आरंभिक अक्षरों को मिलकर बनाया गया है। यह संक्षेपीकरण नेता के नाम को कर्णप्रिय बनाने के लिए उन्हीं की टीम के द्वारा गढ़ा गया था। हमने अनेक अवसरों पर नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक अवतरण पर ‘नमो, नमो’ के नारे सुने हैं। मोदी, मोदी की तरह ही नामो को लोकप्रिय बनाने में मीडिया की भी ख़ासी भूमिका है। शायद जगह बचाने के लिए या स्मार्ट दीखने के लिए नरेंद्र मोदी लिखने की जगह वह नामो लिखता है। रोमन लिपि में यह NAMO लिखा जाता है। हम हिंदी में इसे कैसे बोलें: नामो या नमो?