नई लोकसभा के लिए 2024 के चुनाव के दौरान बार-बार रोहित वेमुला की याद आती रही। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस बार चुनाव-प्रचार में जो शब्द सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए गए, उनमें अनुसूचित जाति, जनजाति, या दलित और आदिवासी जैसे शब्द सबसे अधिक सुनाई पड़े। भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रचारक नरेंद्र मोदी ने, जो संयोग से भारत के प्रधानमंत्री भी हैं, सबसे पहले इन समुदायों के हितों के प्रति चिंता ज़ाहिर की। उनके इशारे को समझकर भाजपा के सारे नेताओं ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा कि उन्हें डर है कि कांग्रेस पार्टीवाले इन दलित और आदिवासी समुदायों के हिस्से के संसाधनों का अपहरण कर लेंगे और उन्हें मुसलमानों को बाँट देंगे। यह हिस्सा मुख्य रूप से आरक्षण के रूप में इन्हें मिल रहा है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस इनका आरक्षण लेकर मुसलमानों को दे देगी।