अयोध्या में राम मंदिर में ‘गर्भगृह’ में बालराम या ‘रामलला’ की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बाबरी मस्जिद की ज़मीन पर ‘राम लला’ के स्वामित्व को स्वीकार करने के कारण संभव हुआ है।
राम भक्ति परंपरा में रामलला स्वरूप के तौर पर नहीं है!
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 8 Jan, 2024

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। तो क्या राम भक्ति परंपरा में ‘रामलला’ स्वरूप के तौर पर हैं? क्या इसको राजनीतिक फायदे के लिए नहीं गढ़ा गया?
‘राम लला’ के ज़मीन की मिल्कियत के दावे से पहले निर्मोही अखाड़ा ने उस ज़मीन के स्वामित्व का दावा पेश किया था। उसने किसी रामलला की तरफ़ से दावा नहीं किया था। ‘रामलला’ का प्रवेश इस मुक़दमे में 1989 में हुआ। कहा गया कि वे ‘रामलला विराजमान’ हैं। ऐसी किसी वस्तु का उल्लेख किसी राम कथा में नहीं है, अलावा विश्व हिंदू परिषद के रामाख्यान के। फिर उनका दावा क्यों स्वीकार कर लिया गया? क्या यह साफ़ नहीं था कि रामलला की आड़ में विश्व हिंदू परिषद बाबरी मस्जिद की ज़मीन की मिल्कियत का दावा कर रहा था?