पिछले 3 महीनों से इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनियों के क़त्लेआम के ख़िलाफ़ पूरी दुनिया में लोग सड़कों पर हैं। सबका ध्यान हेग में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस पर लगा है जहाँ दक्षिण अफ़्रीका ने इज़राइल परफ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी का इल्ज़ाम लगाते हुए अदालत से उसे मुजरिम ठहराने और इस नस्लकुशी को फ़ौरनरोकने की माँग की है। दुनिया भर के अख़बारों, टीवी चैनलों या दूसरे जनसंचार माध्यमों पर इसी से जुड़ी खबरें औरबहसें चल रही हैं। लेकिन भारत एक दूसरे ग्रह का देश मालूम पड़ता है। किसी को भी, जो भारत का नहीं है, यहदेखकर हैरानी हो सकती है कि दीन दुनिया से कटा हुआ पूरा देश राम मंदिरग्रस्त है। भारत की सरकार, उसकेमीडिया, उसके लोगों के पास अयोध्या के राम मंदिर के अलावा और कोई विषय नहीं है।
राम मंदिर: आखिर शंकराचार्यों के बोलने पर कोई हलचल क्यों नहीं?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 15 Jan, 2024

शंकराचार्य राम मंदिर पर बोल रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं- न जनता न मीडिया। राजनीतिक हिन्दू संगठन पहले से ही मान चुके हैं कि बाबा लोग अब उनके आंदोलन या मुद्दों पर पल रहे हैं। स्तभंकार अपूर्वानंद का सवाल कुछ और है। वो शंकराचार्यों के नैतिक बल पर सवाल उठा रहे हैं। मुसलमानों के जनसंहार, मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड, दहेज, मिलावट आदि मुद्दों पर कभी नहीं बोलने वाले शंकराचार्य को अब लोग क्यों सुनेंगे? हिन्दू समाज और खुद शंकराचार्य नए हालात पर मनन करें। पढ़िएः