शंकराचार्य राम मंदिर पर बोल रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं- न जनता न मीडिया। राजनीतिक हिन्दू संगठन पहले से ही मान चुके हैं कि बाबा लोग अब उनके आंदोलन या मुद्दों पर पल रहे हैं। स्तभंकार अपूर्वानंद का सवाल कुछ और है। वो शंकराचार्यों के नैतिक बल पर सवाल उठा रहे हैं। मुसलमानों के जनसंहार, मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड, दहेज, मिलावट आदि मुद्दों पर कभी नहीं बोलने वाले शंकराचार्य को अब लोग क्यों सुनेंगे? हिन्दू समाज और खुद शंकराचार्य नए हालात पर मनन करें। पढ़िएः