डॉ. वेद प्रताप वैदिक भारत के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक एवं हिंदीप्रेमी हैं। डॉ. वैदिक अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे हैं।
फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों को लेकर जो हत्याकांड पिछले दिनों हुआ, उसका धुंआ अब सारी दुनिया में फैल रहा है। फ़्रांस सहित कई यूरोपीय देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं तो इसलामी राष्ट्र विरोध में हैं।
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का दशहरा का भाषण हुआ। उन्होंने कहा कि हिंदू और भारतीय एक ही है। क्या यह बेहतर नहीं होता कि वह भर्ती और रोज़गार से अंग्रेज़ी को हटाने पर बोलते?
पंजाब की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक ऐसा क़ानून बना दिया है, जिसका उद्देश्य है कि किसानों को उनकी फ़सल के उचित दाम मिलें। लेकिन इस चिकनी सड़क पर कई गड्ढे भी दिखाई पड़ रहे हैं।
कश्मीर की छह प्रमुख पार्टियों ने यह तय किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जो हैसियत 5 अगस्त 2019 से पहले थी, उसकी वापसी के लिए वे मिलकर संघर्ष करेंगे।
देश के 34 फ़िल्म-निर्माता संगठनों ने दो टीवी चैनलों और बेलगाम सोशल मीडिया के ख़िलाफ़ दिल्ली उच्च न्यायालय में मुक़दमा ठोक दिया है। यह देखना भी सरकार की ज़िम्मेदारी है कि कोई चैनल लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन न कर पाए और करे तो वह उसकी सज़ा भुगते।
पठानों से भिड़कर पहले रुसी पस्त हुए और अब अमेरिकियों का दम फूल रहा है। अमेरिका अपनी जान छुड़ाने के लिए कहीं भारत को वहाँ न फँसा दे? अमेरिका तो चाहता है कि भारत अब चीन के ख़िलाफ़ भी मोर्चा खोल दे और एशिया में अमेरिका का पप्पू बन जाए।
क्वैड की बैठक में कोई चीन से पंगा लेने को तैयार नहीं था। भाषणों का सार यही था कि ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ में ‘क़ानून का राज’ चलना चाहिए और समुद्री मार्ग सबके लिए खुले होने चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का कोरोनाग्रस्त होना किस बात का सूचक है? कई बातों का है। इनमें से एक है- राष्ट्रपति के चुनाव में उनकी हार। इस हार पर उनके कोरोना ने पक्की मुहर लगा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जमाना काफी आगे निकल चुका है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ 75 साल पहले जहां खड़ा था, वहीं खड़ा है।
नाम का चुनाव हर जगह आसान नहीं है। दुनिया के अलग-अलग देशों में कई नामों पर पाबंदी है और नागरिकों को अपना या अपने बच्चों का नाम रखने से पहले सरकार द्वारा प्रतिबंधित नामों की सूची को देखना होता है।
एक तरफ संसद में रक्षा मंत्री और गृहराज्य मंत्री के बयान और दूसरी तरफ चीनी विदेश मंत्रालय का बयान, इन सबको एक साथ रखकर आप पढ़ें तो आपको पल्ले ही नहीं पड़ेगा कि गलवान घाटी में हुआ क्या था?
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा था कि चीनियों ने हमारी जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया और वे हमारी सीमा में नहीं घुसे तो रक्षा मंत्री को यह बताना चाहिए था कि उस मुठभेड़ का असली कारण क्या था?
अफ़ग़ानिस्तान तालिबान वार्ता दोहा में जब अंतिम दौर में है तो इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी वीडियो लिंक से शामिल हुए। इस बार तालिबान और काबुल सरकार के बीच समझौते की बड़ी उम्मीद है।
राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के नाम पर आप किसी को भी पकड़कर जेल में डाल दें, यह उचित नहीं। गिरफ़्तार व्यक्ति को साल भर तक न ज़मानत मिले, न ही अदालत उसके बारे में शीघ्र फ़ैसला करे, यह अपने आप में अन्याय है। पढ़ें डॉक्टर वेद प्रताप वैदिक का लेख।
भारत की अर्थ-व्यवस्था अब अनर्थ-व्यवस्था बनती जा रही है। इससे बड़ा अनर्थ क्या होगा कि सारी दुनिया में सबसे ज्यादा गिरावट भारत की अर्थ-व्यवस्था में हुई है।
सोनिया गाँधी छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए भवन के भूमिपूजन समारोह में कह गईं कि देश में ‘ग़रीब-विरोधी’ और ‘देश-विरोधी’ शक्तियों का बोलबाला बढ़ गया है। ये शक्तियाँ देश में तानाशाही और नफ़रत फैला रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने दावा किया है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद में भाषण देकर ‘भारतीय आतंकवाद’ की निंदा की है। अकरम से कोई पूछे कि सुरक्षा परिषद में आपको घुसने किसने दिया?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने चीन पहुँच कर फिर कश्मीर की ढपली बजाई। समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान अपने इसलामी मित्र-देशों से क्यों कटता जा रहा है?