इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डॉक्टर कफ़ील ख़ान को रिहा करने का फ़ैसला दिया था, उस पर मैंने जो लेख लिखा था, उस पर सैकड़ों पाठकों की सहमति आई, लेकिन एक-दो पाठकों ने काफी अमर्यादित प्रतिक्रिया भी भेजी। उन्होंने इसे हिंदू-मुसलमान के चश्मे से देखा। मेरा निवेदन यह है कि न्याय तो न्याय होता है। वह सबके लिए समान होना चाहिए। उसके सामने मजहब, जात, ओहदा और हैसियत आदि का कोई ख्याल नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून : आपातकाल की अवांछित संतान
- विचार
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- 29 Mar, 2025

राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून आख़िर किसलिए लाया गया था? दावा किया गया था कि इससे भारतीय संविधान की व्यवस्था सुरक्षित रहेगी। देश में कोई बड़ी अराजकता न फैले, किसी विदेशी शक्ति के साथ सांठ-गांठ करके कोई देशद्रोही गतिविधि नहीं चलाई जा रही हो या देश की शांति और व्यवस्था को भंग करने की कोशिश न की जाए।