इसी वर्ष के मार्च और मई में मैंने लिखा था कि कतर की राजधानी दोहा में तालिबान और अफ़ग़ान-सरकार के बीच जो बातचीत चल रही है, उसमें भारत की भी कुछ न कुछ भूमिका ज़रूरी है। मुझे खुशी है कि अब जबकि दोहा में इस बातचीत के अंतिम दौर का उद्घाटन हुआ है तो उसमें भारत के विदेश मंत्री ने भी वीडियो पर भाग लिया। उस बातचीत के दौरान हमारे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे.पी. सिंह दोहा में उपस्थित रहेंगे। जे.पी. सिंह अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान, इन दोनों देशों के भारतीय दूतावास में काम कर चुके हैं। वह जब जूनियर डिप्लोमेट थे, वह दोनों देशों के कई नेताओं से मेरे साथ मिल चुके हैं।
अफ़ग़ान-तालिबान वार्ता में भारत भी शामिल, अफ़ग़ानिस्तान में आशा की किरण
- विचार
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- 14 Sep, 2020

अफ़ग़ान-तालिबान वार्ता में भारत भी शामिल हुआ है। अब देखना यह है कि यह समझौता कैसे होता है? क्या कुछ समय के लिए तालिबान और अशरफ गनी की काबुल सरकार मिलकर कोई संयुक्त मंत्रिमंडल बनाएँगे? या नए सिरे से चुनाव होंगे? या तालिबान सीधे ही सत्तारूढ़ होना चाहेंगे यानी वे गनी सरकार की जगह लेना चाहेंगे? इसमें शक नहीं कि तालिबान का रवैया इधर काफ़ी बदला है।