आंध्र प्रदेश की सरकार ने पिछले साल अपने सारे स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी कर देने का फ़ैसला किया और विधानसभा ने 19 जनवरी, 2019 को उस पर मुहर लगा दी। बीजेपी ने इसका विरोध किया और उसके दो नेताओं- सुदेश और श्रीनिवास ने उच्च न्यायालय में याचिका लगा दी। उच्च न्यायालय ने अंग्रेजी को थोपने के इस फ़ैसले को गैर-कानूनी घोषित कर दिया लेकिन अब आंध्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चली गई है।
अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई थोपना शिक्षा के लिए विनाशकारी कदम
- विचार
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- 5 Sep, 2020

सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी माध्यम को प्राथमिकता मिलती है और महत्वपूर्ण सरकारी काम-काज पूरी तरह से अंग्रेजी में होता है। जिस दिन सरकारी कामकाज से अंग्रेजी विदा होगी, उसी दिन से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल दिवालिए हो जाएंगे। अंग्रेजी के इसी अनावश्यक वर्चस्व के कारण देश में गैर-सरकारी निजी स्कूलों की बाढ़ आ गई है। अंग्रेजी माध्यम के ये स्कूल ठगी और ढोंग के अड्डे बन गए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर बहस की अनुमति दे दी है लेकिन राज्य सरकार के इस अनुरोध को निरस्त कर दिया है कि वह उच्च न्यायालय के फ़ैसले को रोक दे। अर्थात अभी आंध्र में तेलुगू और हिंदी माध्यम से बच्चों को पढ़ाना जारी रखा जाएगा।