देश के 34 फ़िल्म-निर्माता संगठनों ने दो टीवी चैनलों और बेलगाम सोशल मीडिया के ख़िलाफ़ दिल्ली उच्च न्यायालय में मुक़दमा ठोक दिया है। इन संगठनों में फ़िल्मी जगत के लगभग सभी सर्वश्रेष्ठ कलाकार जुड़े हुए हैं। इतने कलाकारों का यह क़दम अभूतपूर्व है। वे ग़ुस्से में हैं। कलाकार तो ख़ुद अभिव्यक्ति की आज़ादी के अलम बरदार होते हैं। लेकिन सुशांत राजपूत के मामले को लेकर भारत के कुछ टीवी चैनलों ने इतना ज़्यादा हो-हल्ला मचाया कि वे अपनी मर्यादा ही भूल गए। उन्होंने देश के करोड़ों लोगों को कोरोना के इस संकट-काल में मदद करने, मार्गदर्शन देने और रास्ता दिखाने की बजाय एक फ़र्ज़ी जाल में रोज़ घंटों फँसाए रखा।
कोई चैनल लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन करे तो सज़ा भुगते
- विचार
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- 15 Oct, 2020

देश के कुछ टीवी चैनलों का आचरण बहुत मर्यादित और उत्तम है लेकिन सभी चैनलों पर 1994 के ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क रुल्स’ सख़्ती से लागू किए जाने चाहिए। उनको अभिव्यक्ति की पूरी आज़ादी रहे लेकिन यह देखना भी सरकार की ज़िम्मेदारी है कि कोई चैनल लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन न कर पाए और करे तो वह उसकी सज़ा भुगते।