संसद द्वारा पारित कृषि-कानूनों के बारे में कांग्रेस पार्टी ने अपने आप को एक मज़ाक बना लिया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस शीर्षासन की मुद्रा में आ गई है, क्योंकि उसने अपने 2019 के चुनाव घोषणा-पत्र में खेती और किसानों के बारे में जो कुछ वादे किए थे, वह आज उनसे एकदम उल्टी बात कह रही है।
कृषि-कानूनः अपने घोषणा पत्र में किए वादों के ख़िलाफ़ क्यों जा रही है कांग्रेस
- विचार
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- 30 Sep, 2020

यह मांग तो उचित हो सकती है कि किसानों की फसल के न्यूनतम मूल्य को कानूनी रूप दिया जाए ताकि उन्हें बड़ी-बड़ी निजी कंपनियां ठगने न पाएं लेकिन कांग्रेसी नेता अपने घोषणा-पत्र को जरा ध्यान से पढ़ें। उसके किसानों संबंधी वादों में 11 वां और 12 वां वादा वह है, जिसे मोदी सरकार लागू कर रही है।
सोनिया गांधी कांग्रेसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कह रही हैं कि वे केंद्र सरकार के कानून की अनदेखी करें और मंडी व्यवस्था को पहले से अधिक मजबूत करें। राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार ने किसानों को यह मौत की सजा दी है।