अनिल घनवत ने कहा है कि अगर सरकार कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेगी तो वह और उनके संगठन के कार्यकर्ता दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन में शामिल हो जाएंगे।
किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जा सकती है, इसके लिए दो बातें अक्सर कही जाती हैं। सबसे पहले यह कहा जाता है कि भारत में कृषि उत्पादन काफी होता है और इसके निर्यात से किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सकता है।
प्याज की आँसू निचोड़ू क़ीमतों से लोगों को राहत मिल भी नहीं पाई है कि आलू के भाव बढ़ने लगे हैं। केंद्र सरकार ने जिस तरह प्याज के निर्यात पर रोक लगाई थी, उसी तरह आलू के आयात का फ़ैसला कर कीमतों को काबू में रखने की कोशिश तो कर रही है, पर सवाल उठता है कि उसे इस तरह के कृत्रिम प्रयास करने ही क्यों पड़ते हैं।
संसद से पारित कृषि कानून को बेकार करने के लिए राज्य विधानसभा में विधेयक लाए जा रहे हैं। पंजाब ने विधान सभा में विधेयक पास कर केंद्र के कानून को बेअसर करने की पहल शुरू कर दी है।
अमरिंदर सरकार ने कृषि कानूनों की काट को तौर पर विधानसभा में तीन विधेयक पेश करके मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया है। इस टकराव का अंजाम क्या होगा क्या? दूसरे राज्य भी यही रास्ता अख़्तियार करेंगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट। Satya Hindi
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।पंजाब: कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रस्ताव, कैप्टन बोले-सरकार गिरे तो गिरे।अनुराधा भसीन : सच बताने के लिए 'कश्मीर टाइम्स' निशाने पर
बुधवार को सरकार के साथ 30 किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह नारेबाजी और शोरगुल के बीच ख़त्म हो गई। कृषि मंत्री के मौजूद नहीं रहने से गुस्साए किसानों ने बिल की प्रतियाँ फाड़ कर फेंक दीं।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।राहुल: कृषि क़ानून किसानों के लिए ‘मौत की सज़ा’। कृषि क़ानूनों का विरोध : इंडिया गेट पर ट्रैक्टर को आग लगाई
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।बीजेपी शासित कर्नाटक में आज किसान संगठनों ने बुलाया बंद।बादल: एनडीए केवल कागज़ों पर, 10 सालों से बैठक नहीं हुई
संसद से पास नये कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी देने और इसके क़ानून बन जाने के एक दिन बाद प्रदर्शन तेज़ हो गया है। पंजाब और हरियाणा में तो प्रदर्शन हो ही रहा है, कर्नाटक में आज किसान संगठनों ने बंद बुलाया है।
शिवसेना के बाद सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के साथ रहने वाले अकाली दल ने अलग रास्ता तो चुन ही लिया है, उसने सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ एक बड़े और नए राजनीतिक गठबंधन बनाने का संकेत देकर राजनीति में दिलचस्प मोड़ ला दिया है।