शिवसेना के बाद सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के साथ रहने वाले अकाली दल ने अलग रास्ता तो चुन ही लिया है, उसने सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ एक बड़े और नए राजनीतिक गठबंधन बनाने का संकेत देकर राजनीति में दिलचस्प मोड़ ला दिया है।