पूर्व पत्रकार और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश का यह दावा कितना सही है कि उन्होंने कृषि विधेयकों के दौरान मत-विभाजन इसलिए नहीं कराया कि इसकी माँग करने वाले अपनी सीट पर नहीं थे? उन्होंने विधेयक तो ध्वनि-मत से पारित कर ही दिया, सांसदों के व्यवहार से इतने दुखी हुए कि पहले राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू और उसके बाद राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख डाली।