कृषि कानून बनने से किसानों का एक बडा वर्ग खासा नाराज़ है। वह सड़कों पर उतर आया है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं। ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इससे बीजेपी-ग़ैरबीजेपी पार्टियाँ तो आमने-सामने हो ही रही हैं, केंद्र-राज्य संबध पर भी बुरा असर पड़ने जा रहा है। संसद से पारित कानून को बेकार करने के लिए राज्य विधानसभा में विधेयक लाए जा रहे हैं। पंजाब ने विधान सभा में विधेयक पास कर केंद्र के कानून को बेअसर करने की पहल कर दी है।
पंजाब के बाद अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ की विधानसभाओं में ऐसे विधेयक लाने की तैयारियाँ हो रही हैं। कांग्रेस-शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि उनकी सरकार कृषि क़ानूनों को उलटने के प्रावधान वाले विधेयक विधानसभा में जल्द ही पेश करेगी। यह मुमकिन है कि शीतकालीन सत्र में उन्हें पेश कर दिया जाए।
कांग्रेस-शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसा विधेयक लाने की बात ही नहीं कही है, बल्कि वह इसके लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं। लेकिन राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सवाल उठाया है कि विशेष सत्र की ज़रूरत ही क्या है।
पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को एक विधेयक पेश किया, जिसके प्रावधान कृषि क़ानूनों के उलट हैं। यह विधेयक आराम से पारित हो गया क्योंकि बीजेपी के दो सदस्यों के अलावा सभी सदस्यों ने इसका समर्थन किया। बीजेपी के अरुण सूद और दिलीप सिंह मतदान के समय मौजूद नहीं थे। सूद फजिल्का और दिलीप सिंह सुजानपुर के विधायक हैं। इस तरह यह विधेयक बग़ैर किसी विरोध यानी आम सहमति से पारित हो गया।
कैप्टन का हमला
लेकिन मामला इतना भर नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस पर बहुत ही कड़ा और आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है।
अमरिंदर सिंह ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनौर इन कृषि विधेयकों पर दस्तख़त कर देंगे, लेकिन यह चेतावनी भी दे डाली है कि ऐसा नहीं हुआ तो सरकार अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
नियम के अनुसार राज्यपाल अधिकतम दो बार किसी विधेयक को पुनर्विचार करने के लिए राज्य विधासनभा को वापस भेज सकते हैं। तीसरी बार पारित होने के बाद उन्हें उस पर दस्तख़त करना ही होगा।
लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर एक और मोर्चा खोलने का फैसला किया है। पंजाब के सभी कांग्रेसी विधायक राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं।
इस पूरे मामले में और अधिक जानकारी के लिए देखें वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का यह वीडियो।
कांग्रेस की नीति
पंजाब विधानसभा में जो कुछ हुआ है, वह ताज्जुब की बात नहीं है, यह कांग्रेस के पहले से तय नीति के अनुसार ही हुआ है। संसद में कृषि विधेयकों के पारित होने के तुरन्त बाद कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने सभी कांग्रेस-शासित राज्यों से अपील की थी कि वे इस क़ानून को निष्प्रभावी करने के लिए अपने-अपने राज्य में विधेयक पारित कराएं।
कांग्रेस पार्टी ने बाकायदा बयान जारी किया था। उसमें कहा गया था, “सोनिया गांधी ने कांग्रेस के शासन वाले राज्यों को सलाह दी है कि वे अपने राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत क़ानून बनाने की संभावनाओं को तलाशें। यह अनुच्छेद राज्य की विधानसभाओं को इस बात की इजाज़त देता है कि वे केंद्र सरकार के कृषि विरोधी क़ानूनों को रद्द करने या नकारने के लिए क़ानून बना सकते हैं।”
केंद्र बनाम राज्य
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में तीन विधेयक पेश किए। वे हैं- किसान उत्पादन व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान एवं पंजाब संशोधन विधेयक 2020, आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020।
ये विधेयक जिन केंद्रीय क़ानूनों के उलट हैं, वे हैं- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तीरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 विधेयक। ये अब क़ानून बन चुके हैं।
राजनीति और घात-प्रतिघात के इस खेल में सबसे अहम सवाल पीछे छूट रहा है, वह है-संघीय ढाँचा और केंद्र-राज्य संबंध। नरेंद्र मोदी कई बार कोऑपरेटिव फ़ेडरेलिज्म की बात कह चुके हैं, पर उनकी सरकार तो राज्यों को उनके हिस्से के जीएसटी के पैसे तक नहीं दे रही है।
अब यदि राज्य सरकारों ने केंद्रीय क़ानून को खारिज कर दिया तो सवाल उठता है कि क्या केंद्र-राज्य संबंधों की नई शुरुआत हो रही है। यह सवाल भी उठेगा कि क्या संसद के पारित क़ानून राज्यों में खारिज किए जाते रहेंगे। लेकिन सबसे पहले सवाल तो यह उठेगा कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर राज्य सराकरों से पहले बात क्यों नहीं की, उन्हें विश्वास में क्यों नहीं लिया।
गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।
नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & Norms व Cancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 6 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 180 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 6 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
'सत्य हिन्दी' के 12 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से एक वर्ष के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 12 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष निमंत्रण (Special Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
* स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
सदस्यता तिथि से एक वर्ष की अवधि में 'सत्य हिन्दी' द्वारा आयोजित हर webinar में भाग लेने के लिए आपको मुफ़्त निमंत्रण। आप प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा।
'सत्य हिन्दी' द्वारा यदि भारत में कुछ विशेष कार्यक्रमों (Ground Events) का आयोजन किया जाता है, तो उनमें से किसी एक कार्यक्रम में भाग लेने का विशेष आरक्षित प्रीमियम निमंत्रण (Specially Reserved Premium Invite)* शर्त लागू: (जब तक कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह सम्भव नहीं होगा।)
अति विशिष्ट सदस्यता स्मृति चिह्न।**
** स्मृति चिह्न हम केवल भारतीय पते पर ही भेज पायेंगे, विदेश में नहीं। **स्मृति चिह्न सदस्यता लेने की तिथि के 60 दिन बाद भेजा जायेगा।
This membership is open only to Non Resident Indians (NRI), Persons of Indian Origin (PIO), Overseas citizens of India (OCI) or Indian Citizens currently staying abroad. If you are not belong to any of these categories, please do not proceed.
*Membership will be cancelled if the above declaration is found to be false and Membership Fee will be refunded to the source account which was used to pay it.
अपनी राय बतायें