ध्वनि मत से पारित हुए थे ये विधेयक
इन कृषि विधेयकों को राज्यसभा में 20 सितंबर को पारित कर दिया गया था, जिस पर बहुत ही विवाद हुआ था। ये विधेयक ध्वनिमत से पारित किए गए थे, जबकि विपक्ष का कहना था कि उसने इस पर मत विभाजन की माँग की थी, जिसे उप सभापति हरिवंश ने अनुसना कर दिया था। उस दौरान विपक्षी पार्टी के सांसदों ने 'तानाशाही बंद करो' के नारे भी लगाए थे। तृषणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन पर आरोप लगा था कि उन्होंने उप सभापति के आसन के पास पहुंचकर रूल बुक फाड़ दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफाई दी थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बरक़रार रहेगा। उन्होंने कहा था, ‘मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलता रहेगा।’
हंगामा हुआ था
कृषि विधेयकों को लेकर रविवार को हुए हंगामे के बाद सोमवार को 8 सांसदों को एक हफ़्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह कार्रवाई की थी। नायडू ने कहा था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी।रूल बुक फाड़ी गई थी?
कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में जोरदार बहस के बीच तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के सांसदों के बीच झड़प हुई थी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन पर आरोप लगा था कि उन्होंने उपसभापति के सामने ही रूल बुक फाड़ दी थी। इसके बाद सदन की कार्यवाही को थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा था। लेकिन यह साबित नहीं हो पाया है कि रूल बुक वाकई फाड़ी गई थी।
अपनी राय बतायें