जब राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश धरने पर बैठे सदन के निलम्बित सदस्यों को समझाने स्वयं चाय ले कर गए तो देश के सभी प्रजातांत्रिक संस्थाओं में अटूट विश्वास रखने वालों को अच्छा लगा। उनमें गांधीवादी 'अशत्रुता' और गीता का 'रागद्वेषविमुक्ति' का भाव दिखा। लेकिन तर्क की एक सबसे बड़ी कमज़ोरी है कि शब्दों के मायने सन्दर्भ-स्वच्छंद नहीं होते, लिहाज़ा सत्य की खोज के लिए तर्क-वाक्यों को हमेशा संभाषण के सभी तत्कालीन सन्दर्भों (यूनिवर्स ऑफ़ डिस्कोर्स) में देखा जाना चाहिए। सेलेक्टिव अप्रोप्रिएशन ऑफ़ फैक्ट्स से तर्क-वाक्य बनाना दोष माना जाता है।