हिसार के एक ग्रामीण ने देश के एक बड़े सार्वजनिक बैंक की फसल बीमा कंपनी से आरटीआई के तहत पूछा कि कितने किसानों को बीमा की राशि मिली। बैंक का जवाब था- “यह सूचना राष्ट्र की संप्रभुता के हित में नहीं दी जा सकती।” वैसे यह जानकारी देश के करीब पांच मंत्रालय/विभाग जिलेवार अपनी वेबसाइट पर नियमित रूप से डालते हैं।
दावा पारदर्शिता का था तो फिर जानकारियां क्यों छिपा रही है मोदी सरकार?
- विचार
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- 26 Sep, 2020

मोदी-2 सरकार ने आते ही सूचना कानून में संशोधन कर सीआईसी के पांच साल के कार्यकाल की निश्चितता समाप्त की और व्हिसिलब्लोअर की सुरक्षा का प्रावधान हटाया। जो सूचनाएं 2014 से पूर्व सहज ही आरटीआई से मिल जाया करती थीं, वे आज “राष्ट्र-हित” के नाम पर नहीं दी जा रही हैं।
असम सरकार ने कोरोना महामारी के कारण कक्षा 12 के पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत की कटौती करते हुए “स्वतंत्रता के बाद की राजनीति” अनुभाग से जिन पाठों या घटनाओं को हटाया है उनमें- 1984 के दंगे, 2002 के गुजरात दंगे, बैकवर्ड-फॉरवर्ड मंडल आन्दोलन और राम मंदिर मुद्दे के अलावा राष्ट्र निर्माण में नेहरू की भूमिका, नेहरू की विदेश नीति आदि हैं लेकिन कश्मीर समस्या, चीन और पाकिस्तान से 1962, 65 और 71 के युद्ध, आपातकाल, जनता दल और बीजेपी के उभार को बनाए रखा गया है।