हिन्दुस्तान के आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़़र को अपनी बदनसीबी पर अफ़सोस था कि मरने के बाद 'दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में' (उन्हें रंगून जेल में अंग्रेज हुकूमत ने दफनाया था)।
यूपी में नयी समरसता, जहाँ दलित बेटी की लाश ज़बरन जला दी जाती है
- विचार
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- 2 Oct, 2020

सामाजिक समरसता का शायद एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जिसमें लाश इसलिए जबरिया जलाना पड़ता है कि दुनिया को पता न चले कि लाश पर जार-जार बेबस माँ कैसे रोती है और कैसे सौ-पचास गाँव के लोग वहाँ आ कर आक्रोश में दिखाई देने लगते हैं।