हिन्दुस्तान के आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़़र को अपनी बदनसीबी पर अफ़सोस था कि मरने के बाद 'दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में' (उन्हें रंगून जेल में अंग्रेज हुकूमत ने दफनाया था)।