टीवी चैनल या अख़बार के लिए विज्ञापन आर्थिक सांस की नली है। विज्ञापनदाता उस समाज तक पहुँचना चाहता है जो पैसा खर्च कर उसका सामान खरीदे, जबकि अच्छी पत्रकारिता के अस्तित्व की पहली शर्त है-जनोपदेय और समाज के कल्याण के आधार पर ख़बर देना।