भारत भ्रष्टाचार की नयी ऊंचाइयाँ छूने लगा है। मुख्य न्यायाधीश के ठीक बाद की वरीयता वाले न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमन्ना, जो कि सीजेआई बनने के क्रम में सबसे आगे हैं, के ख़िलाफ़ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी ने लिखित आरोप लगाया है कि वह अपने प्रभाव से प्रदेश की हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के मामलों में बेंच बदलवा रहे हैं, मनमर्जी से फैसले करवा रहे हैं और उनकी दो बेटियों ने अमरावती में राज्य की राजधानी बनने की घोषणा से पहले ही बड़े पैमाने पर दलितों की ज़मीन को गैर-कानूनी ढंग से ख़रीदा।
जस्टिस रमन्ना पर आरोप: क्या भ्रष्टाचार अपने खतरनाक मुकाम पर पहुंच चुका है?
- विचार
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- 13 Oct, 2020

अगर शीर्ष पर बैठा अफसर या मुख्यमंत्री शिद्दत से चाह ले तो शेकडाउन सिस्टम को ख़त्म किया जा सकता है लेकिन जिन समाजों में पे-ऑफ़ सिस्टम का भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है वहां से इसका हटना लगभग नामुमकिन होता है। अगर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ जज पर एक मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर आरोप लगाये तो लगता है कि शायद सिस्टम हाथ से निकल चुका है।
उधर, बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी पर आरोप है कि नाना के सीएम बनने के मात्र 15 दिनों में वह पांच साल से लगभग बंद एक कंपनी के डायरेक्टर बन गए और उनकी कंपनी को अचानक करोड़ों की रकम कुछ ऐसी फर्जी कंपनियों द्वारा दी गयी जिनका संबंध उस कंपनी से है जो राज्य में 600 करोड़ रुपये की लागत से सरकारी आवास बना रही है।