दो साल पहले हाथरस जाने के दौरान रास्ते में ही गिरफ़्तार कर लिए गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन जमानत मिलने के एक माह बाद भी आख़िर जेल से रिहा क्यों नहीं हो पाए थे? जानिए वजह।
हाथरस में हुई बलात्कार की लोमहर्षक घटना को झुठलाने की कोशिशों में की गयी कार्रवाई में मथुरा, गौतमबुद्ध नगर और हाथरस में तैनात एसटीएफ़ अपने ही जाल में फंस गई है।
हाथरस की घटना के वे अकेले 4 अभियुक्त नहीं हैं जिनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हुई है बल्कि अभियुक्तों की ऐसी फ़ौज है जो शासन और प्रशासन के ऊंचे-नीचे पदों पर क़ाबिज़ है। सबसे बड़ा न्यायिक सवाल यह है कि इस लोगों के विरुद्ध चार्जशीट कौन दायर करेगा और कब?
हाथरस घटना का सच क्या है? घटना के तीन महीने में इसकी अलग-अलग कहानियाँ बनाकर पेश की गईं। अब सीबीआई ने चार्जशीट में घटना के अलग-अलग वर्जन और सबूतों का विश्लेषण पेश किया है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। सीबीआई ने माना- हाथरस गैंगरेप हुआ; योगी सरकार बेनकाब! । बलात्कार के अपराधियों को बचाने के लिए बीजेपी नेता भी जुटे थे
हाथरस घटना के बाद ग़ाज़ियाबाद के करेरा में कथित तौर पर 236 दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की बात अभी प्रशासन मानने को तैयार भी नहीं है कि और भी दलित परिवारों ने धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी है।
हाथरस मामले में योगी सरकार पहले दिन से ये स्टैंड लेकर बैठी है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ और इसे सही साबित करने के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार दिखती है।
हर रोज़ भेदभाव और अपमान झेलते रहे दलितों को हाथरस मामले ने किस हद तक झकझोर दिया है? यह इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस घटना के बाद कम से कम 236 दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। एनसीआर में ही।
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मथुरा जेल में बंद इस मलयाली पत्रकार को अपने रिश्तेदारों या किसी दूसरे से मिलने नहीं दिया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या यह सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है?
हाथरस गैंगरेप केस में उत्तर प्रदेश की ज़बरदस्त आलोचना तो पहले से ही हो रही है, अब अदालत ने उसे ज़ोरदार फटकार लगाई है। अदालत ने इसके साथ ही बलात्कार नहीं होने के पुलिस के कथन पर सवाल उठाया है।
हाथरस गैंगरेप कांड की पीड़िता के परिजनों ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जाँच की माँग की थी, पर सीबीआई ने इस मामले की जाँच मंगलवार को शुरू कर दी।