हाथरस गैंगरेप कांड की पीड़िता के परिजनों ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जाँच की माँग की थी, पर सीबीआई ने इस मामले की जाँच मंगलवार को शुरू कर दी। केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने पहले ही दिन पीड़िता के परिजनों को बुलाया और पीड़िता के भाई को चार घंटों की लंबी पूछताछ के बाद छोड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मंगलवार को सीबीआई की टीम पहले घटनास्थल पर गई, वहाँ 'सीन को रीक्रिएट' किया और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की। फोरेंसिक टीम ने उस स्थल का पूरा परीक्षण किया और पूरा ब्योरा एकत्रित किया। वे लोग वहाँ तकरीबन 3 घंटे रहे।
पीड़िता के भाई से पूछताछ
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पीड़िता के भाई के बयान में अनियमितता पाई गई है, यानी उन्होंने अलग-अलग समय एक ही सवाल के जवाब में अलग-अलग बातें कहीं। इस वजह से उनकी लंबी पूछताछ हुई।पुलिस का कहना है कि परिजनों से पूछताछ इसलिए की जा रही है कि पूरी वारदात को ठीक से समझा जा सके। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस मामले से जुड़े सभी काग़ज़ात ले लिए गए हैं, जिसमें फोरेंसिक रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयान भी शामिल हैं।
सीबीआई की इस टी में डीएसपी सीमा पाहुजा, एएसपी वी. के. शुक्ला, डीएसपी आर. आर. त्रिपाठी और इंस्पेक्टर एस श्रीमंती हैं।
'पीड़िता का चरित्र हनन न हो
दूसरी ओर, इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही उसने लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि पीड़िता का चरित्रण हनन किसी कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा है कि जिस तरह अभियुक्त को अदालत से सज़ा मिलने से पहले दोषी नहीं कहा जा सकता है, उसी तरह पीड़िता का चरित्र हनन किसी कीमत पर नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने हाथरस में दलित युवती के कथित बलात्कार और उसकी हत्या के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए उसका पक्ष सुनने के लिए बुलाया था। उसके बाद उसने पुलिस और प्रशासन का पक्ष सुना है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश को फटकारते हुए कहा है कि पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी।
कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।
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