हाथरस मामले को दंगा फैलाने की 'साज़िश' बताए जाने और 'कोई रेप' नहीं होने की थ्योरी गढ़े जाने के बीच राहुल गाँधी ने सीधे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है। उन्होंने दलित, मुसलिम और आदिवासियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस के लिए पीड़िता 'कोई नहीं' थी इसलिए किसी का दुष्कर्म हुआ ही नहीं।
हाथरस मामले को शुरू से उठाते रहे और पीड़िता के परिवार वालों से मिलने वाले राहुल गाँधी ने एक ख़बर को ट्वीट करते हुए लिखा, "शर्मनाक सच्चाई यह है कि कई भारतीय दलित, मुसलिम और आदिवासियों को इंसान नहीं मानते हैं।
मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस का कहना है कि किसी का बलात्कार नहीं किया गया क्योंकि उनके लिए और कई अन्य लोगों के लिए वह (पीड़िता) 'कोई नहीं' थी।"
The shameful truth is many Indians don’t consider Dalits, Muslims and Tribals to be human.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 11, 2020
The CM & his police say no one was raped because for them, and many other Indians, she was NO ONE.https://t.co/mrDkodbwNC
लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने क़रीब एक हफ़्ते पहले हाथरस जा कर पीड़िता के परिजनों से मुलाक़ात की थी। राहुल ने मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार चाहते हैं कि ज़िला मजिस्ट्रेट को हटाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित परिवार राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है। राहुल गाँधी के इस बयान का एक मतलब यह भी निकलता है कि वह सरकार पर ज़िम्मेदारी नहीं निभाने का आरोप लगा रहे थे। यानी वह मान रहे थे कि पीड़िता को न्याय नहीं दिया जा रहा है और पुलिस मामले में कथित तौर पर लीपापोती कर रही है।
पुलिस शुरुआत से ही हाथरस मामले में रेप के आरोपों से इनकार करती रही है। एक के बाद एक वह रिपोर्टों का हवाला देती रही। योगी सरकार भी दबी जुबान में क़रीब-क़रीब यही कहती रही। योगी सरकार पर तो ये आरोप भी लगे कि आरोपियों के पक्ष की ओर से जो थ्योरी गढ़ी गई है उसी राह पर वह चल रही है। आरोपियों के पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि सभी आरोपी निर्दोष हैं और पीड़िता की उसके परिवार वालों ने ही 'ऑनर किलिंग' की है। लेकिन जब पीड़िता के शव को परिवार वालों की ग़ैरमौजूदगी में रात के ढाई बजे जला दिया गया और परिवार को उसका चेहरा तक नहीं देखने दिया गया था तो यूपी पुलिस निशाने पर रही और कई सवाल उठाए गए। हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार वालों का आरोप है कि उनपर काफ़ी दबाव डाला जाता रहा। जब पत्रकार रिपोर्टिंग के लिए उस गाँव में जाने की कोशिश में थे तो उन्हें रोक दिया गया। इसका योगी सरकार पर काफ़ी ज़्यादा दबाव पड़ा।
यह वह समय था जब हाथरस मामले में एसआईटी जाँच पूरी हुई भी नहीं थी कि इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जाँच की घोषणा कर दी और इसी बीच ही इस मामले में साज़िश की बात कही गई है। इस मामले में कहा गया कि हाथरस में विपक्ष, कुछ पत्रकारों व नागरिकता क़ानून विरोधी आंदोलन से जुड़े संगठनों के साथ कुछ सामाजिक संगठन योगी सरकार की छवि बिगाड़ने की साज़िश रच रहे थे। इस मामले में पीएफ़आई से संबंध होने का आरोप लगाते हुए एक पत्रकार सहित चार लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया। घटना में इस नये मोड़ को लेकर भी यही आलोचना की जा रही है कि पीड़िता को न्याय दिलाने की बजाए उसके लिए न्याय की माँग करने वालों को दबाव में लिया जा रहा है। बता दें कि न्याय की माँग दलित, ग़रीबों और महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाले लोग उठा रहे हैं।
यही माँग राजनीतिक दल कांग्रेस के नेता राहुल ने भी उठाई। इस को उन्होंने मुद्दा बनाया। उन्होंने दलितों, मुसलिमों और आदिवासियों का ज़िक्र किया। इसके लिए उन्होंने एक ख़बर का हवाला दिया। वह 'बीबीसी' की ख़बर हाथरस को लेकर थी। उस रिपोर्ट का शीर्षक है, 'हाथरस केस: एक महिला लगातार दुष्कर्म का आरोप लगाती रही। पुलिस इनकार क्यों कर रही है?'
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