अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का कोरोनाग्रस्त होना किस बात का सूचक है? कई बातों का है।
पहली, दुनिया का कोई आदमी कितना ही शक्तिशाली हो, बीमारी और मौत के आगे वह निढाल है। ट्रंप दुनिया के सबसे शक्तिशाली आदमी हैं, क्योंकि वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के पति हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास जितनी संवैधानिक शक्तियाँ होती हैं, उतनी किसी भी राष्ट्र के प्रधानमंत्री को नहीं होतीं। कोरोना ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह किसी राष्ट्रपति और सफ़ाई कर्मचारी में कोई भेद नहीं करता।
दूसरा, ट्रंप के कोरोना ने उनके बड़बोलेपन को पंचर कर दिया है। कोरोना कुछ नहीं है, उससे क्यों डरें, अमेरिकी स्वास्थ्य-सेवाएँ सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं- इस तरह की लंतरानियाँ करनेवाले ख़ुद ट्रंप को कोरोना ने पटकनी मार दी।
ट्रंप के अहंकार को यह स्वीकार नहीं था कि वे मुखपट्टी लगाएँ। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन का मज़ाक़ उड़ाया था कि सार्वजनिक टीवी बहस में बाइडन ने मुँह पर पट्टी लगाकर बात की थी। कोरोना ने सिद्ध किया है कि नेताओं को, वे चाहे कितने ही बड़े हों, अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए कि आम जनता उनका अनुकरण कर सके। भारत से 4-5 गुना छोटे अमेरिका में 2 लाख 10 हज़ार लोगों की मौत का एक बड़ा कारण यही लापरवाही है।
तीसरी, अमेरिका जैसे समृद्ध और उन्नत देश में लोगों के आत्म-विश्वास का स्तर ज़रूरत से ज़्यादा ऊँचा है। इसीलिए हम देखते हैं कि समुद्र-तटों, हवाई जहाज़ों, मेट्रो रेलों और सड़कों पर भी लोग मुखपट्टी के बिना घूमते हैं, एक-दूसरे से शारीरिक दूरी नहीं रखते और होटलों में खाना खाते हैं। वे अपने नेताओं का अनुकरण करते हैं।
चौथी बात, जो ट्रंप के बारे में ही है। उन्हें बुधवार को हल्का बुखार था और श्वास लेने में दिक्कत थी। इसके बावजूद वह बुधवार और गुरुवार को चुनाव-प्रचार करते रहे। दो दिन बाद शुक्रवार को वह अस्पताल में भर्ती हुए। उनके बारे में डॉक्टरों और उनके सेवकों की रिपोर्ट आपस में मेल नहीं खातीं। फिर भी, डॉक्टरों की सलाह के विरुद्ध वह चुनाव के मैदान में आज से ही डट जाएँ तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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