क्या हम आज फ़ेसबुक और वॉट्सएप के बिना रह सकते हैं? सुबह उठते ही करोड़ों भारतीय भगवान का नाम लेते हैं या नहीं, लेकिन अपने फ़ेसबुक और वॉट्सएप को ज़रूर देखते हैं। ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। भारत तो फ़ेसबुक का दुनिया में सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है लेकिन फ़ेसबुक पर गंभीर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।
हेट स्पीच मुद्दा: फ़ेसबुक और वॉट्सएप पर लगाम लगाए जाने की ज़रूरत
- विचार
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- 27 Aug, 2020

यह मामला इतना गंभीर है कि इसे पार्टी के चश्मे से देखने के बजाए राष्ट्रीय दृष्टि से देखा जाना चाहिए। भारत की संसदीय समिति में सभी दलों के लोग हैं। वे सर्वसम्मति से फ़ेसबुक और वॉट्सएप के दुरुपयोग को रोकें, यह बहुत ज़रूरी है। यदि यह नहीं हुआ तो चीन की तरह भारत में भी फ़ेसबुक को लोग ठेसबुक कहने लगेंगे और उसे अंतर्ध्यान होना पड़ेगा।
मेरी राय में फ़ेसबुक, अब ठेसबुक बनता जा रहा है। उस पर लोग झूठी ख़बरें, निराधार निंदा, अश्लील चर्चा, राष्ट्रविरोधी अफवाहें यानि जो चाहें सो चला देते हैं। ऐसी बातों से लोगों का, संस्थाओं का और देश का अथाह नुकसान होता है। ऐसे ही कुछ मामले अभी-अभी सामने आए हैं।