पाकिस्तान की पीपल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने हाल ही में लगभग सभी प्रमुख विरोधी दलों की बैठक बुलाई, जिसमें पाकिस्तानी फ़ौज़ की कड़ी आलोचना की गई। पाकिस्तानी फ़ौज़ की ऐसी खुले-आम आलोचना करना तो पाकिस्तान में देशद्रोह-जैसा अपराध माना जाता है। नवाज़ शरीफ ने अब इस फ़ौज़ को नया नाम दे दिया है। उसे नई उपाधि दे दी है।
पाकिस्तान: ताक़तवर फ़ौज़ को चुनौती दे पाएंगे विपक्षी दल?
- विचार
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- 22 Sep, 2020

1971 में बांग्लादेश बनने के बाद पाकिस्तानी जनता के मन में भारत-भय इतना गहरा बैठ गया है कि उसका एकमात्र मरहम फ़ौज़ ही है। फ़ौज़ है तो कश्मीर है। फ़ौज़ के बिना कश्मीर मुद्दा ही नहीं रह जाएगा। इसके अलावा फ़ौज़ ने करोड़ों-अरबों रु. के आर्थिक व्यापारिक संस्थान खड़े कर रखे हैं। जब तक राष्ट्र के रुप में पाकिस्तान का मूल चरित्र नहीं बदलेगा, वहां फ़ौज़ का वर्चस्व बना रहेगा।
फ़ौज़ को अब तक पाकिस्तान में और उसके बाहर भी ‘सरकार के भीतर सरकार’ कहा जाता था लेकिन मियां नवाज़ ने कहा है कि वह ‘सरकार के ऊपर सरकार’ है। यह सत्य है। पाकिस्तान में अयूब खान, याह्या खान, जिया-उल-हक और मुशर्रफ ने तो अपना फ़ौज़ी शासन कई वर्षों तक चलाया ही लेकिन जब गैर-फ़ौज़ी नेता लोग सत्तारुढ़ रहे, तब भी असली ताकत फ़ौज़ के पास ही रही है।