अफ़ग़ानिस्तान के वर्षों विदेश मंत्री रहे डाॅ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला आजकल अफ़ग़ानिस्तान की राष्ट्रीय मेल-मिलाप परिषद के अध्यक्ष हैं। वह अफ़ग़ानिस्तान के लगभग प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वे ही दोहा में तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं। वे भारत आकर हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मिले हैं। क़तर की राजधानी दोहा में चल रही इस त्रिपक्षीय बातचीत— अमेरिका, काबुल सरकार और तालिबान— में इस बार भारत ने भी भाग लिया है। हमारे नेताओं और अफ़सरों से उनकी जो बात हुई है, उसकी जो सतही जानकारी अख़बारों में छपी है, उससे आप कुछ भी अंदाज़ नहीं लगा सकते। यह भी पता नहीं कि इस बार अब्दुल्ला दिल्ली क्यों आए थे?
अमेरिका अपनी जान छुड़ाने के लिए कहीं भारत को अफ़ग़ानिस्तान में न फँसा दे?
- दुनिया
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- 11 Oct, 2020

दोहा में चल रही अफ़ग़ान-तालिबान वार्ता में भारत भी शामिल हुआ है। लेकिन भारत को किस हद तक इसमें हिस्सेदार बनना चाहिए? पठानों से भिड़कर पहले रुसी पस्त हुए और अब अमेरिकियों का दम फूल रहा है। अमेरिका अपनी जान छुड़ाने के लिए कहीं भारत को वहाँ न फँसा दे? अमेरिका तो चाहता है कि भारत अब चीन के ख़िलाफ़ भी मोर्चा खोल दे और एशिया में अमेरिका का पप्पू बन जाए।