डॉ. वेद प्रताप वैदिक भारत के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक एवं हिंदीप्रेमी हैं। डॉ. वैदिक अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे हैं।
अमेरिका ने ईरान पर लगे हथियार खरीदने के प्रतिबंधों को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन 15 सदस्यों वाली इस सुरक्षा परिषद में सिर्फ एक सदस्य ने उसका समर्थन किया।
अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित करके एक तीर से कई शिकार कर लिये हैं। यदि वे जीत गईं तो वे अमेरिका की पहली महिला उप-राष्ट्रपति बनेंगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अयोध्या के पास बननेवाली मसजिद के शिलान्यास में मैं नहीं जाऊँगा, क्योंकि मैं योगी हूँ और हिंदू हूँ।
श्रीलंका में हुए संसदीय चुनाव में वहाँ भाई-भाई राज कायम कर हो गया है। अब उस पर मोहर लगा दी है। बड़े भाई महिंदा राजपक्षे तो होंगे प्रधानमंत्री और छोटे भाई गोटाबया राजपक्षे होंगे राष्ट्रपति! इनकी पार्टी का नाम है- ‘श्रीलंका पोदुजन पेरामून’।
यदि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए आज डाॅ. फारुक जगमोहन के विरुद्ध जाँच बिठाने की माँग कर रहे हैं तो उस जाँच की अग्नि-परीक्षा में सबसे पहले ख़ुद डाॅ. फारुक को खरा उतरना होगा।
ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की राजनीति पटरी पर शीघ्र ही आ जाएगी। राज्यपाल कलराज मिश्र का यह बयान स्वागत योग्य है कि वह विधानसभा का सत्र बुलाने के विरुद्ध नहीं हैं।
अमेरिका ने चीन के विरुद्ध अब बाक़ायदा शीतयुद्ध की घोषणा कर दी है। ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों से आग्रह किया है कि वे चीन के विरुद्ध एकजुट हो जाएँ। भारत से उनको सबसे ज़्यादा आशा है।
भारत में उत्तर प्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहाँ कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 23 लाख विद्यार्थियों में से लगभग 8 लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए।
यदि कुवैत ने सख़्त निर्णय कर दिया तो उसे देखकर बहरीन, यूएई, सउदी अरब, ओमान, कतर आदि देश भी वैसी ही घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा हो गया तो 40-50 लाख लोगों को भारत में नौकरियाँ कैसे मिलेंगी?
सरकार ने सोनिया-परिवार के तीन ट्रस्टों पर जाँच बिठा दी है और उन पर यह आरोप भी लगाया है कि उन्होंने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से करोड़ों रुपए स्वीकार किए हैं। क्या है मामला?
सरकारी संस्था प्रसार भारती ने कहा है कि पीटीआई राष्ट्र-विरोधी है। वह चीन पर रिपोर्टिंग से नाराज़। पीटीआई को राष्ट्र विरोधी करार देने और धमकाने के पीछे सरकार का क्या मक़सद है?
देश में 45 साल पहले इंदिरा गाँधी आपातकाल लगा चुकी थीं। शास्त्री भवन में बैठे एक मलयाली अफ़सर को दिखाए बिना किसी अख़बार का संपादकीय छप ही नहीं सकता था। बड़े-बड़े तीसरमारखां संपादक नवनीत-लेपन विशारद सिद्ध हो रहे थे।
सुरक्षा परिषद में भारत आठ साल बाद फिर आठवीं बार पहुँचा है। सुरक्षा परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद 21वीं सदी की दुनिया को भारत चाहे तो नई दिशा दिखाने की कोशिश कर सकता है।
भारत और चीन के सैनिकों की बीच हुई मुठभेड़ और उसके कारण हताहतों की ख़बर ने देश के कान खड़े कर दिए। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए और माना जा रहा है कि चीन के चार या पाँच फ़ौजी मारे गए।