कल दो दृश्य देखने लायक हुए। एक तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने चीन पहुँच कर फिर कश्मीर की ढपली बजाई और दूसरा, फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मनी की चांसलर जब मिले तो दोनों ने एक-दूसरे को हाथ जोड़कर और नमस्ते बोलकर अभिवादन किया। ऐसा ही ट्रंप और इस्राइल के प्रधानमंत्री भी करते हैं। यह देखकर दिल ख़ुश हुआ लेकिन समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान अपने इसलामी मित्र-देशों से क्यों कटता जा रहा है?