उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अयोध्या के पास बननेवाली मसजिद के शिलान्यास में मैं नहीं जाऊँगा, क्योंकि मैं योगी हूँ और हिंदू हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उन्हें निमंत्रित भी नहीं किया जाएगा। आज की ख़बर यह है कि मसजिद बनानेवाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें निमंत्रण भेजा जा रहा है और उन्हें उसे स्वीकार करना चाहिए। इसके लिए उसने तर्क दिया है।
योगी मसजिद में क्यों न जाएँ?
- विचार
- |
- |
- 29 Mar, 2025

‘हिंदू’ नाम तो आपको हज़ार-डेढ़ हज़ार साल पहले विदेशी मुसलमानों ने ही दिया है। आप अपने नामदाता का तिरस्कार क्यों कर रहे हैं? आप मुख्यमंत्री हैं। आप सबके हैं। आपका प्रेम और सम्मान सबको समान रूप से क्यों नहीं मिलना चाहिए? मैं न तो मूर्ति-पूजा करता हूँ, न ‘नमाज़’ पढ़ता हूँ और न ही ‘प्रेयर’ करता हूँ लेकिन मैं मंदिर में भी जाता हूँ, मसजिद में भी, गिरजे में भी, गुरुद्वारे में भी और साइनेगाॅग में भी!
तर्क यह है कि मसजिदों के शिलान्यास की इसलाम में कोई परंपरा नहीं है। इसलाम के चारों प्रमुख संप्रदायों की यही मान्यता है। जो शिलान्यास अयोध्या के धन्नीपुर गाँव में होगा, वह होगा मसजिद के साथ बननेवाले अस्पताल, लायब्रेरी, सामूहिक रसोईघर, संग्रहालय और शोध केंद्र का! मैं ख़ुद मानता हूँ कि मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें मुसलमानों के इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।