अदाकारी के अजीमुश्शान बादशाह दिलीप कुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे। दुनिया भर में फैले अपने लाखों-लाख चाहने वालों को उन्होंने 7 जुलाई को अपना आखिरी अलविदा कह दिया।
नाटककार विजय तेंदुलकर का आज यानी 6 जनवरी को जन्मदिन है। भारतीय रंगमंच को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाले विजय तेंदुलकर, देश के महान नाटककारों में से एक थे।
गीतकार, कवि गोपाल दास ‘नीरज‘ का 4 जनवरी को जन्मदिन है। वह उस कवि सम्मेलन परम्परा के आख़िरी वारिस थे, जिन्हें सुनने और पढ़ते हुए देखने के लिए हज़ारों श्रोता रात-रात भर बैठे रहते थे।
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी 25 दिसम्बर को इस फानी दुनिया से जुदा हो गए। वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश में जन्मे फ़ारुक़ी को 'सरस्वती सम्मान, 'पद्म श्री' समेत कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया था।
गेंदालाल दीक्षित, क्रांतिकारी दल ‘मातृवेदी’ के कमांडर-इन-चीफ़ थे। 21 दिसम्बर अमर शहीद गेंदालाल दीक्षित की पुण्यतिथि और साल 2020 उनकी शहादत का सौवाँ साल है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ के नज़दीक मलीहाबाद में 5 दिसम्बर, 1898 में पैदा हुए शब्बीर हसन खां, बचपन से ही शायरी के जानिब अपनी बेपनाह मुहब्बत के चलते, आगे चलकर जोश मलीहाबादी कहलाए। लेकिन वह पाकिस्तान क्यों चले गए?
जब राजनीति में जम कर धर्म का घोल मिलाया जा रहा हो, जब धर्म के नाम पर हक़ जायज़ और नाजायज़ बातों को सही ठहराया जा रहा हो, तब जवाहर लाल नेहरू की याद आना स्वाभाविक है।
बेमिसाल शायर, गीतकार साहिर लुधियानवी ने 25 अक्टूबर, 1980 को अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। उन्होंने अपनी नज्मों और गीतों में मुल्क और अवाम के लिए, जो समाजवादी ख्वाब बुना था, वह अब भी पूरा नहीं हुआ है।
मजाज़ को तरक्की पसन्द तहरीक और इन्कलाबी शायर भी कहा जाता है। 19 अक्टूबर 1911 जन्मे मजाज़ महज 44 साल की छोटी सी उम्र में इस जहाँ को अलविदा करने से पहले अपनी उम्र से बड़ी रचनाओं की सौगात दे गए।
आज बेगम अख्तर का जन्मदिन है। उनका जन्म सात अक्तूबर 1914 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद ज़िले में हुआ था। दादरा, ठुमरी और गजल में महारत हासिल करने वाली बेगम अख्तर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अलावा पद्म श्री से भी सम्मानित थीं।
हसरत जयपुरी के नाम से मशहूर इक़बाल हुसैन की आज यानी 17 सितंबर को पुण्यतिथि है। उनका जन्म 15 अप्रैल 1918 को हुआ था। बस कंडक्टरी से शुरुआत कर उन्होंने मुशायरों में हिस्सा लेना शुरू किया था।
भारत चीन सीमा तनाव और चीन के चरित्र को प्रसिद्ध लेखक कृश्न चंदर ने 1964 में लिखे अपने उपन्यास 'एक गधा नेफा में' काफ़ी बारीकी से उजागर किया है। तबके चीनी प्रधानमंत्री के साथ एक गधे का काल्पनिक संवाद रोचक है।
उर्दू अदब की बात हो और राजिंदर सिंह बेदी के नाम के ज़िक्र के बिना ख़त्म हो जाए, ऐसा नामुमकिन है। अपनी दिलचस्प कथा शैली और जुदा अंदाजे-बयाँ की वजह से बेदी उर्दू अफसानानिगारों में अलग से ही पहचाने जाते हैं।
बीता साल पंजाबी साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर अमृता प्रीतम का जन्मशती वर्ष था। जन्मशती वर्ष पर जिस तरह से अमृता को याद किया जाना और उनके साहित्य पर बात होनी चाहिए थी, वह पूरे देश में कहीं नहीं दिखाई दी।
समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्मत चुग़ताई का नाम किसी तआरुफ का मोहताज़ नहीं। वह जितनी हिंदुस्तान में मशहूर हैं, उतनी ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी। उनके चाहने वाले यहाँ भी हैं और वहाँ भी।
रफी को इस दुनिया से गुजरे चार दशक हो गए, लेकिन फिल्मी दुनिया में उन जैसा कोई दूसरा गायक नहीं आया। इतने लंबे अरसे के बाद भी वे अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते हैं।
विवेकानंद ऋषि, विचारक, सन्त और दार्शनिक थे, जिन्होंने आधुनिक इतिहास की समाजशास्त्रीय व्याख्या की थी। 'गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं' का नारा देने वाले विवेकानंद की जयंती पर पढ़ें यह लेख।