जब राजनीति में जम कर धर्म का घोल मिलाया जा रहा हो, जब धर्म के नाम पर हक़ जायज़ और नाजायज़ बातों को सही ठहराया जा रहा हो, जब देश के प्रधानमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री संस्कृति की आड़ में लोगों की धार्मिक भावनाओं को दोहन कर अपनी राजनीति चमका रहे हों, तब जवाहर लाल नेहरू की याद आना स्वाभाविक है।
नेहरू : क्यों सांप्रदायिकता के साथ राष्ट्रवाद नहीं चल सकता?
- विचार
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- 14 Nov, 2020

ऐसे समय जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री को आज की हर ग़लती के लिए ज़िम्मेदार ठहाराया जा रहा है और उनके विचारों के समानान्तर व उलट एक नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है, यह जानना ज़रूरी है कि वह धर्म के बारे में क्या राय रखते थे। जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर सत्य हिन्दी की विशेष पेशकश।