जब राजनीति में जम कर धर्म का घोल मिलाया जा रहा हो, जब धर्म के नाम पर हक़ जायज़ और नाजायज़ बातों को सही ठहराया जा रहा हो, जब देश के प्रधानमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री संस्कृति की आड़ में लोगों की धार्मिक भावनाओं को दोहन कर अपनी राजनीति चमका रहे हों, तब जवाहर लाल नेहरू की याद आना स्वाभाविक है।