नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। अपने नाम के ही मुताबिक़ नौशाद का संगीत सुनकर, उनके चाहने वालों को एक अजीब सी खुशी, मसर्रत मिलती है। दिल झूम उठता है। हिंदी सिनेमा की शुरुआत को हुए एक सदी से ज्यादा गुजर गया, लेकिन कोई दूसरा नौशाद नहीं आया। नगमा-ओ-शेर की जो सौगात उन्होंने पेश की, कोई दूसरा उसे दोहरा नहीं पाया। फिल्मी दुनिया के अंदर थोड़े से ही वक्फे में नौशाद ने बड़े-बड़े नामवरों के बीच नामवरी हासिल कर ली थी। लेकिन इस कामयाबी की कहानी मुख्तसर नहीं है, बल्कि इसके पीछे उनका एक लंबा संघर्ष और फिल्म-संगीत के प्रति उनकी हद दर्जे की दीवानगी थी। जिसने उन्हें फिल्मी संगीत का बेताज बादशाह बना दिया।
नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध, ज़िंदगी की शक्ल थी
- सिनेमा
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- 26 Dec, 2020

संगीतकार नौशाद के जन्मदिन पर ख़ास।
25 दिसम्बर, 1919 को उत्तर भारत के नवाबों की नगरी लखनऊ में जन्मे नौशाद अली को संगीत से शुरुआत से ही लगाव था। संगीत की स्वर लहरी उन्हें अपनी ओर खींचती थी। शहर के अमीनाबाद इलाक़े में उस वक़्त एक रॉयल टॉकीज था जिसमें हिन्दी फ़िल्मों का प्रदर्शन होता रहता था। होने को वह दौर साइलेंट फिल्मों का था, लेकिन जनता के मनोरंजन की खातिर बीच-बीच में पर्दे के पीछे से स्थानीय आर्टिस्ट, ऑर्केस्टा के मार्फत गीत-संगीत पेश करते थे। जिसे जनता ख़ूब पसंद करती थी। नौशाद भी जब इस इलाक़े से गुजरते, तो इस गीत-संगीत की गिरफ्त में आ जाते। वह वहीं खड़े-खड़े यह संगीत सुना करते और यह उनका रोज का दस्तूर हो गया था।