शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी 25 दिसम्बर को इस फानी दुनिया से जुदा हो गए। वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश में जन्मे फ़ारुक़ी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की थी। बुनियादी तौर पर अंग्रेज़ी साहित्य के छात्र रहे फ़ारूक़ी को 'सरस्वती सम्मान, 'पद्म श्री' समेत कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया था। समालोचना तनकीदी अफकार के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 'कई चांद थे सरे आसमां' उनका चर्चित उपन्यास है। यह उपन्यास कई जबानों में अनुवाद हुआ।