श्याम बेनेगल नहीं रहे। अभी हाल में अपनी जिंदगी के 90वें पड़ाव को पार करते हुए अपने साथियों और चहेतों से घिरे हुए श्याम बाबू के चेहरे पर वही मुस्कान थी जो इनके व्यक्तित्व को उभारती थी, फिल्म जगत में उनके हिमालय सी शख्सियत को और बुलंदी देती थी। बीमार चल रहे थे मगर फिर भी सवालों के जवाब में नई फ़िल्मों के विषयवस्तु की बात कर रहे थे, और उनके चाहने वाले दुआ कर रहे थे कि तबीयत संभले और श्याम बेनेगल एक और फिल्म इस देश दुनिया और समाज को भेंट करें...।
अपने जीते जी ही एक परंपरा बन चुके थे श्याम बेनेगल
- श्रद्धांजलि
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- 24 Dec, 2024

भारतीय समानांतर सिनेमा आंदोलन की शुरुआत करने वाले श्याम बेनेगल की शख्सियत कैसी थी? पढ़िए, नीलेंदु सेन उनको कैसे याद करते हैं।
1989। जाने माने फिल्मकार और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता रमेश शर्मा श्याम बेनेगल पर डॉक्यूमेंट्री शूट कर रहे थे, और हम नौसिखिए इंटरव्यू के दौरान लॉग शीट हाथ में लिए फटी फटी आंखों से श्याम बाबू को देख रहे थे। जी हाँ, समानांतर सिनेमा के ज़रिये उभरे श्याम बेनेगल तब भी लगभग डेढ़ दशक से एक के बाद एक शाहकार फ़िल्में बना कर एक सुपरस्टार का दर्जा हासिल कर चुके थे।